मौजूदा आयकर स्लैब से 20 लाख की आय पर बचेंगे 93,600 रुपये

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना दूसरा बजट पेश करेंगी। इस बजट में सबसे ज्यादा नजरें आयकर के स्लैब में कमी होने पर टिकी है। वेतनभोगी करदाताओं को आस हे कि स्लैब और कर दर में कमी कर वित्त मंत्री मीडिल क्लास को फायदा देंगी। पिछले साल ही डायरेक्ट टैक्स कोड पर बनी कमेटी ने सरकार से इस तरह की सिफारिश की थी कि आयकर के स्लैब में परिवर्तन किया जाए। इस टास्क फोर्स का खास फोकस मिडिल क्लास पर है। कमेटी ने सिफारिश की थी कि टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 6.25 लाख रुपये किया जाना चाहिए। अभी पांच लाख रुपये तक की कमाई टैक्स फ्री है।


 

सूत्रों के मुताबिक डायरेक्ट टैक्स पर बनी इस कमेटी ने 2.50 लाख से 10 लाख तक की आमदनी पर 10 फीसदी, 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये तक की आमदनी पर 20 फीसदी टैक्स लगाने की सिफारिश की गई है। 


सुपर रिच के लिए 30 फीसदी स्लैब


सुपर रिच में शामिल लोग जिनकी सालाना आय 20 लाख रुपये से दो करोड़ रुपये के बीच में है, उनपर 30 फीसदी और दो करोड़ से ज्यादा की आमदनी पर 35 फीसदी टैक्स की सिफारिश की है। इसने सिर्फ खास मकसद से ही सरचार्ज लगाने की सिफारिश की है। 

समिति ने कहा कि टैक्स स्लैब रिवाइज करने से दो तीन साल के लिए आय में कमी हो सकती है, लेकिन इसके बाद टैक्स भरने में लोगों को आसानी होगी। साथ ही टैक्स की चोरी भी रुकेगी।


खत्म हों सरचार्ज


इसके अलावा समिति ने सरचार्ज व सेस को पूरी तरह से खत्म करने की सिफारिश की है। अभी भारतीय कंपनियों को किसी वित्त वर्ष में घोषित या चुकाए गए कुल डिविडेंड पर 15 फीसदी का डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स देना पड़ता है। इस पर 12 फीसदी का सरचार्ज और तीन फीसदी का एजुकेशन सेस भी लगता है। पैनल के मुताबिक, सभी कैपिटल गेंस को तीन कैटेगरी में रखना चाहिए- फाइनेंशियल इक्विटी, फाइनेंशियल अन्य और नॉन फाइनेंशियल।