कोरोना वायरस से प्रभावित संदिग्ध लोगों को बुनियादी चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए भारतीय सेना और आईटीबीपी ने दिल्ली के छावला और हरियाणा के मानेसर (गुरुग्राम) में विशेष केंद्र बनाए हैं। चीन में फंसे भारतीय छात्रों व वहां से आने वाले अन्य लोगों को इन केंद्रों में रखा जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 366 छात्रों को भारत लाने के लिए एयर इंडिया के विमान में शुक्रवार दोपहर पांच डॉक्टरों की टीम भी साथ गई थी। इनके शनिवार तड़के पहुंचने के संभावना है। विशेष केंद्रों में छात्रों व अन्य लोगों को तब तक रखा जाएगा जब तक इनके सैंपल की जांच रिपोर्ट नहीं मिल जाती। सैंपल निगेटिव आते हैं तो इन्हें घर भेज दिया जाएगा।
सेना के मुताबिक वुहान से आने वाले छात्रों की जांच और देखभाल के लिए मानेसर में 300 बैड की व्यवस्था की गई है। छात्रों की स्क्रीनिंग सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (एएफएमएस) और हवाई अड्डा स्वास्थ्य प्राधिकरण (एपीएचओ) की संयुक्त टीम द्वारा की जाएगी।
आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडे ने बताया कि छावला इलाके में आईटीबीपी ने 600 बिस्तरों वाला आइसोलेशन वार्ड तैयार किया है। इसमें 25 डॉक्टरों की एक टीम मौजूद रहेगी। इसमें 15 सफदरजंग अस्पताल के और 10 आईटीबीपी के डॉक्टर होंगे। आइसोलेशन वार्ड में बच्चों और महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भारत के 366 छात्र वुहान में पढ़ रहे हैं। इन्हें 14 दिन के लिए मानेसर और छावला में बने विशेष केंद्रों में रखा जाएगा। इनमें से 280 पुरुष नागरिकों को मानेसर और करीब 90 लोगों को छावला में रखा जाएगा। इनमें से किसी की रिपोर्ट में कोरोना वायरस पाया जाता है तो उसे तत्काल बड़े अस्पताल में उपचार के लिए भेजा जाएगा। स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. राजीव गर्ग को मंत्रालय ने नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। अन्य मंत्रालयों ने भी एक-एक नोडल अधिकारी को निगरानी रखने की जिम्मेदारी दी है। सफ